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चरित्र-चित्रण

मेरी बात
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चरित्र-चित्रण

फिर से दशहरा आया, फिर राम और रावण का चरित्र-चित्रण किया गया | कुछ ने रावण पर कीचड उछाला तो कुछ ने राम के दोष ढूढने में जमकर परिश्रम किया | खूब संश्लेषण-विश्लेषण हुए | कुछ ने ऐसी जगहों का वर्णन करके अपने आप को जानकार सिद्ध करने की कोशिश जहाँ रावण की पूजा होती है | समझ में नहीं आता कि क्या वास्तव में हममे से कितने लोग इस योग्य हैं कि इन दो महान विभूतियों के जीवन-चरित का आकलन कर सके  |
हर बार हम इन दोनों के बारे में इस तरह लिखते हैं कि जैसे ये दोनों उस पाठशाला के छात्र रहें हों जहाँ के हम कभी प्रधानाचार्य रहे हैं | राम और रावण दोनों ही उस समय के महान विद्वान और वीर थे | दोनों ही विधिवत रूप से शिक्षालयों में शिक्षित किये गए थे | क्या राम को ज्ञान नहीं रहा होगा कि वें कहाँ गलती कर रहे हैं या रावण को नहीं पता होगा कि उसने कब, कहाँ और क्या अनुचित किया ?
राम ने वही किया जो एक मानव को करना चाहिए था | सच तो ये है कि हमें भी उनके जीवन-वृत्त से ही पता चलता है कि मानव को कब क्या करना चाहिए | एक भारतीय पुरुष के लिए जो मर्यादाएं उन्होंने स्थापित की वे हमारे लिए सदा अनुकरणीय रहेगीं | एक राजा के रूप में उनके द्वारा अपनायी गयी नीतियाँ शासकों के लिए सदा से  आदर्श हैं |
भगवान के रूप में देखा जाए तो उनके पृथ्वी पर आने के उनके कुछ विशिष्ट उद्देश्य थे |  जिन्हें पूरा करने के लिए उन्होंने वही किया जो आदर्श व्यक्ति को करना चाहिए था | अगर कुछ त्रुटि हुयी भी तो वो मानव-रूप  होने कारण ही हुई होंगी |
जहाँ तक रावण की बात है तो सीता हरण उसे विवशतावश ही करना पड़ा | उसने अपना बल दिखाने के लिए ऐसा नहीं किया | अगर रावण को लगता कि वो राम से अधिक बलशाली है तो उसी वन में उन्हें पराजित करने का प्रयास करता | सच तो ये है कि उसने मन से कभी माना ही नहीं वो राम से श्रेष्ठ है |
बहुत दुःख की बात है कि रावण की तुलना हम चरित्रहीन लोगों से करतें हैं जबकि रावण के चरित्रहीन होने का कोई प्रमाण नहीं मिलता |
दोनों के चरित्रों से शिक्षा लेकर हमें अपना आचरण सुधारने की आवश्यकता है | इन पर आक्षेप करने में साधारण मानव सक्षम नहीं |

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