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अभी कसर बाक़ी है
आये दिन नये-नये घोटाले, ढेर सारा भ्रष्टाचार…… खूब मँहगाई….. और लोग अभी से बस करने लगे | कहते हैं कि अब कोई कसर बाक़ी नही रही | लेकिन है….. कसर अभी बाक़ी है | अभी तो आदरणीय प्रधानमंत्री जी देश को धनवान बनाएंगे | अरे नहीं ! गरीबी को मिटा कर नही, गरीबों को मिटाकर | दिन रात एक किये हुए हैं बेचारे | बड़े मेहनती जो ठहरे | कुछ लोग भले ही संदेह करे लेकिन ये सच है | एक दिन वो ज़रूर आएगा जब आदरणीय प्रधानमन्त्री जी इस देश के गरीबों तक लिए साँस लेने जितनी हवा भी नही जाने देंगें | अभी तो वे आम आदमी की थाली पर कुदृष्टि जमाये हुये है | पीने के पानी को हक भी उनकी दृष्टि में आम आदमी का नही है | अब वे मँहगाई की बाढ को अपनी लगन और ईमानदारी से इतना ऊँचा उठाएंगे कि गरीब अवश्य डूबेगा और मरेगा | और डूब कर नही मरा तो इतना बेबस हो जाएगा कि आत्महत्या करेगा | अब केवल किसान ही अकेला आत्महत्या क्यूँ करे ? माननीय प्रधानमन्त्री जी ने उसे भी बहुत से दुःख के साथी उपलब्ध करा दिए |
तो अब देखिये न जब इतने सारे मजबूर और गरीब लोग ही नही रहेंगें देश में तो भारतवर्ष तो धनी देश बन जायेगा | गरीबी मुक्त भारतवर्ष | क्योंकि गरीबी तो गरीब के साथ ही खत्म हो जायेगी | यही तो गाँधी परिवार का सपना है |
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