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ऋषि को प्रणाम

मेरी बात
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आज बाबा को देख कर लगता है कि  वैदिक काल से चली आ रही हमारी पम्परा अभी जिंदा है. आज उन्हें देखकर हम अनुमान लगा सकते हैं कि कैसे रहे होंगे वे ऋषि जिन्हें हमने नहीं देखा रामदेव जी कि तरह ही दिखते होंगे विश्वामित्र , वशिष्ठ , अत्रि , अंगिरा भृगु आदि आदि. अब वे लोग जो हमारे आदरणीय सप्त ऋषियों को कहानियों के पात्र कहते हैं , आज देख ले कि  उनकी संताने अभी हैं जिंदा अभी इस देश में और शायद हमेशा जन्म लेती रहेंगी .

बाबा का आश्रम छोड़कर यूँ राजधानी तक चलकर आना कोई नयी बात नहीं हमारे देश में . पौराणिक कथाओं में भी पढते हैं हम कि जब जब शासक अभिमानी और आत्याचारी बने तो ऋषिओं ने उनका विरोध किया . ऋषिओं ने हमेशा जनकल्याण के लिए कार्य किया .

बाबा ने आत्मसम्मान से भर दिए हैं हमारे मन मस्तिष्क . शासकों ने दुनिया में हमें लज्जित किया . लेकिन बाबा ने हमारे राष्ट्र को गौरान्वित किया .आज जब सारी   दुनिया हमें भ्रष्ट कह कर हमारा मजाक उड़ा रही है तब बाबा ने हमारे सम्मान को बचाया , देश के सम्मान को बचाया , हमें बचाया .

सत्ता के सिंहासन पर बैठे लोग ये जान लें कि उनकी भ्रष्ट मण्डली से बाहर भी है एक भारत . कुछ बेईमान लोगों का दल ही सारा भारत नहीं है. और उनके इस बेईमान दल से देश की रक्षा करने को फिर कोई परशुराम आया है .

लंबे समय से हम शर्मिंदा हुए सर झुकाए बैठे थे . आज हमें अपने भारत पे गर्व है . गर्व है अपने देश के ऋषिओं पर .

बाबा को शत शत नमन ……जिन्होंने हमें न केवल स्वस्थ बनाया बल्कि अब हमारे परिवेश को शुद्ध बना रहे हैं. देश को स्वस्थ बना रहे हैं………

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