मेरी बात
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परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों के छात्रों का तो भगवान भी मालिक नही. एक तो बेचारों को पहले ही शिक्षक नसीब नही और ऊपर से सरकार का नया तुगलकी फ़रमान. शिक्षकों को तो गैर-शैणिक कामों में लगाकर पहले ही विद्यालयों से बाहर रखा जाता है अब बेचारे बच्चों को नये टाइम-टेबल ने विद्यालय से बाहर कर दिया. शिक्षकों को तो विद्यालय में अब रोज़ाना एक घन्टा अधिक स्कूल में रहना पडेगा लेकिन बच्चों का तो स्कूल टाइम पहले से आधा कर दिया गया है. क्या हो गया है माननीय मन्त्री जी की बुद्दि को ? इन बच्चों के साथ इतनी दुश्मनी क्यों ?
अगर मन्त्री जी को लगता है कि स्कूलों मे शिक्षकों की कमी है तो पहले इन उपलब्ध शिक्षकों कों गैर-शैणिक कामों से तो आज़ाद कराइये. फ़िर देखिये इन गरीब बच्चों कों कितना लाभ मिलता है. दुआयें देंगें बेचारे.
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